न देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं भजन
न देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं।...
विपत आई अंधी आंधो पे लाल श्रवण सा पाया था..
न देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं।...
विपत आई अंधी आंधो पे लाल श्रवण सा पाया था..
न देना दोष दशरथ को, विपत तो सब पे आती हैं।
न देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं।...2
विपत आई राजा दशरथ पे राम जब जा रहे थे वन को..2
न देना दोष केकई को, विपत तो सब पे आती हैं।
न देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं।...2
विपत आई नार द्रोपदी पे सभा मे चीर हरण करते...2
न देना दोष कौरव को, विपत तो सब पे आती हैं।
ना देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं।...2
विपत आई पाँचो पांडवो पे, छूटा देश भी अपना..2
न देना दोष जुए को, विपत तो सब पे आती हैं।
न देना दोष किस्मत को, विपत तो सब पे आती हैं।...2
अनिरुद्धाचार्य जी महाराज